CMOS क्या है - हिन्दी में (What is CMOS in hindi)

 क्या आप जानते हैं ? CMOS क्या है ? BIOS ओर CMOS में क्या अंतर है ? इसके होने या न होने से system में क्या फर्क पड़ता है ? और CMOS के बारे में आश्चर्यजनक बातें आपको देखने को मिलेगी , इसीलिए हमारे साथ बने रहे। 



अनुक्रम :-

1. CMOS क्या है ?

2. CMOS की खोज कब और किसने की ?

3. CMOS बैटरी क्या है और कैसे काम करती है ?

4. CMOS बैटरी को कैसे पहचाने खराब है या नहीं ?

5. CMOS को Access कैसे करते हैं ?

6. CMOS ओर BIOS में क्या अंतर है ?

7. आज आपने क्या सीखा ?



CMOS क्या है


CMOS क्या है


CMOS का पूरा नाम Complementary Metal Oxcide Semiconductor है। ये कंप्यूटर की बहुत छोटी memory होती है जिसका size आमतौर पर 256 bytes तक की होती है। 



BIOS की सेटिंग इसी में store होती है , साथ ही इस चिप में system पर किस प्रकार की disk drive इंस्टॉल किए गए हैं , System clock का culture , date , time और कुछ Hardware के सेटिंग भी save होती है। 



CMOS एक छोटी ram की तरह होती है जिसमें सभी BIOS information को store किया जाता है ताकि हर बार कंप्यूटर restart या power on होने पर कंप्यूटर इन information को याद रख सकता है। 



CMOS को दूसरे ओर नामों से भी जाना जाता है जैसे कि CMOS-RAM , Non-volatile RAM (NVRAM) , Non-volatile BIOS memory ओर Real Time Clock (RTC) . 



CMOS एक मेमोरी है , जिसमें कुछ स्टोर रहती है और मेमोरी कई तरह की होती है , जैसे कि volatile memory ओर non-volatile memory



volatile memory उसे कहते हैं जिसका डेटा power off  होने के बाद भी उसमे से डेटा erase नहीं होता है। 



Non-volatile memory उसे कहते हैं जिसका डेटा power off होने के बाद उसमे से डेटा erase यानी कि खत्म हो जाती है।  



CMOS जो है वो Non-volatile memory है , इसका मतलब यह है कि जब भी इसमें power नहीं होगी तो इस चिप में जो भी देता है वो खत्म हो जाएगी



तो इसका डेटा कभी खत्म न हो और इसे लगातार power मिलता रहे , इसके लिए motherboard में एक बैटरी installed रहती है



जो सिर्फ CMOS के कार्य को पूरा करने के लिए बनाई गई होती है , उसे हम CMOS battery कहते हैं। CMOS एक बहुत ही बेहतरीन technology है जो बहुत कम बिजली पर काम करती है। 



CMOS की खोज कब और किसने की



CMOS की खोज 1963 ई० में हुई थी ओर इसकी खोज Frank Wanlass ने की थी। 



CMOS बैटरी क्या है और कैसे काम करती है



जैसा की हमने पहले बताया है कि CMOS memory के अंदर BIOS की सेटिंग के अलावा system की date ओर time भी store रहती है। 



अगर CMOS बैटरी नहीं होती तो जब हम कंप्यूटर को बंद करते हैं तब CMOS की सारी सेटिंग खत्म हो जाएगी , क्योंकि CMOS एक non-volatile memory है। जिसका डेटा power न मिलने पर खत्म हो जाता है। 



तो इस समस्या को दूर करने के लिए ही CMOS बैटरी को बनाया गया है , CMOS की बैटरी बहुत लंबे समय तक चलती है क्योंकि कंप्यूटर या लैपटॉप हो खोलकर motherboard की CMOS को बदलना बहुत जटिल काम है। 



CMOS बैटरी एक सिक्के की आकार का एक Lithium ion battery होती है और इसकी उर्म आमतौर पर 10 साल की होती है। 



अगर कभी कभी यह उससे पहले भी खराब हो जाती है। इसके जल्दी खराब होने के कारण system का किस तरह से उपयोग किया जा रहा है यह उस पर निर्भर करता है। CMOS बैटरी  खराब होने पर उसका replacement किया जा सकता है। 



CMOS बैटरी को कैसे पहचाने खराब है या नहीं



अगर system का डेटा ओर time अपने आप ही बार बार बदलता जा रहा है या BIOS की सेटिंग reset हो गई है यानी अपने आप बदलती जा रही है तो समझ जाइए कि CMOS बैटरी खराब हो चुकी है। 



CMOS बैटरी के खत्म हो जाने पर कंप्यूटर के BIOS की सेटिंग , Default सेटिंग पर reset हो जाती है। 



आपका कंप्यूटर काम तो करेगा ही लेकिन आपके BIOS में सब कुछ जैसे boot sequence , date ओर time ओर अन्य function reset हो जाएगी। 



क्योंकि जब भी आप अपने कंप्यूटर के BIOS configuration को बदलते हैं तो वो सेटिंग CMOS के चिप में save होती है न कि BIOS के चिप में। 



इसीलिए हर बार कंप्यूटर के restart या power on होने पर कंप्यूटर इन configuration को याद रख सके , इसके लिए CMOS बैटरी लगातार  power supply करती रहती है। 



CMOS को Access कैसे करते हैं



CMOS को Access करने के लिए कंप्यूटर on करने के बाद booting process के दौरान ही इनमे से एक keys को दबाना होता है , जैसे f1 , f2 , f9 , f10 , delete ओर esc। 



अलग-अलग brand के कंप्यूटर में अलग-अलग  keys के इस्तेमाल से ही CMOS को Access किया जाता है। 



इनमें से कोई एक keys दबाने के बाद आप आसानी से CMOS setup के screen पर पहुंच जाएंगे , जहां से आप system की date ओर time को बदल सकते हैं



ओर इसके अंदर आप कई तरह के Hardware enable ओर disable भी कर सकते हैं , जैसे usb port , video card , sound card ओर अन्य devices। 


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CMOS ओर BIOS में क्या अंतर है



(I) BIOS ओर CMOS दोनों अलग-अलग components है और ये एक साथ मिलकर काम करते हैं। BIOS motherboard में लगा एक चिप है जिसका उद्देश्य process को hardware के बिच संचार करना होता है। 



अगर BIOS चिप न होती तो processor ये नहीं जान पाता कि components के साथ interface कैसे करना है , BIOS के बिना कंप्यूटर ये नहीं समझ पाएगा कि ये सभी components एक साथ काम कैसे करेगा। 



(II) CMOS भी motherboard में लगी एक चिप है या विशेष रूप से एक रैम चिप है जिसका मतलब यह है कि सामान्य रूप से कंप्यूटर के कुछ सेटिंग को खो देगा , जो कंप्यूटर बंद होने पर उसे store करती  है



इसीलिए CMOS का काम बैटरी के रूप में BIOS के सारे सेटिंग को secure करना होता है , इस बैटरी से cmos को लगातार power मिलती रहती है। 



इसीलिए रेम चिप होने के बावजूद भी कंप्यूटर बंद होने के बाद उसमें से डाटा loss नहीं हो पाता है जब कंप्यूटर पहले बूट हो जाता है तो bios hardware सेटिंग ओर time के information को समझने के लिए CMOS से import करता है। 



(III) CMOS बैटरी काफी छोटी होती है , जो motherboard में लगी हुई होती है , जब भी Bios software motherboard में लगाये गए  pron चिप में store होती है। 



(IV) इन दोनों का काम एक दूसरे के बिना अधूरा होता है , लेकिन यदि cmos खराब हो जाए तो bios फिर भी काम करता है , लेकिन bios खराब होने पर cmos भी काम करना बंद कर देता है। 



(V) CMOS में CR 2032 cell battery द्वारा power दिया जाता है , जिससे cmos battery भी कहते हैं और bios को power cmos से मिलती है। 



(VI) CMOS में किसी प्रकार का डेटा store नहीं होता है लेकिन ये बात ध्यान रखता है कि जब कंप्यूटर बन्द हो जाता है तब भी cmos चिप को power मिलती रहे , जिससे कोई भी डेटा सेटिंग loss न हो , जबकि bios उन सारे डेटा को store करता है। 



आज आपने क्या सीखा ?



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